cloud poem: बादलों से संदेशा, शिव जी को

cloud poem: बादलों से संदेशा, शिव जी को

Cloud Poem


सुन बादल सुन क्या तुम 
शिव जी से मिल कर आए हो
अपनें मन की बरखा को
क्या वहां बरसा कर आए हो
मेरा भी एक काम करो तो
एक बार मेरी भी सुन लो ना
मेरे मन के बादल को 
कैलाश में जाकर बरसा दो ना
कह देना महादेव से
एक बार मुझे भी बुलावा दें 
संग गौरी मां के साथ 
एक झलक मुझे भी दिखला दें 
मेरे प्रेम के बेल पत्र को
क्या तुम वहां ले जाओगे
पाकर शिव जी के चरणों में
मेरे भाव समर्पित कर आओगे
कुछ कर सकते हो वो तुम्ही हों 
ऐसे ही थोड़े पूरे आकाश में छाए हो
सुन बादल सुन क्या तुम 
शिव जी से मिल कर आए हो


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