देर तो हो चुकी माँ..
अब कितनी देर लगाओगी,
खोल किवाड़ सवार शेरा पर,
कब तक फिर से आओगी ।
वस्त्र में लिपटी मानवता को चिर चिर होते,
यूँ कब तक देखती जाओगी ।
नम आंखें, खूनी घाव भरी चीख,
कब तक सहती जाओगी ।
भूखे भेड़ियों के लहू से तुम,
खड़ग की प्यास कब बुझाओगी,
वहशी राक्षसों का खून रोपने,
तुम खप्पर कब उठाओगी ।
देख खत्म होती इंसानियत धरती पर,
जो बची है उसे बचा लो माँ ।
न सोचो न देर करो अब ,
शांति के फूल खिला दो माँ।
कह देना महादेव से...,
अब ना.. रोकने आएँगे ।
कि... नहीं रुकेगी तलवार तेरी अब,
अब तो पापी शोक मनाएंगे।
अट्टहास करते उन राक्षसों को,
आकर ये दिखा दो माँ..,
क्या होता परिणाम गलत का,
कर विनाश बतला दो माँ ।
जो कमजोर पड़े तेरी लाडली तो ,
उसमें शक्ति की जोत जला दो माँ ।
ग़र पड़े जरूरत स्वयं रक्षा की तो,
पल में बलशाली बना दो माँ ।
भ्रूण से बुढ़ी होने तक,
हर छण तुम सजग रहना ।
ना पड़े बुरी नजर लाडो पर ,
तू ऐसी अपनी नजर रखना ।
स्वशक्ति की ऐसी वर्षा कर,
हर नारी को स्वयंसिद्धा बना दे।
जो उठे हाथ दुस्साहस में तो,
बन ज्वाला उसे भस्म बना दे ।
Waah👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएं👍👍
जवाब देंहटाएंHi, Rekha Manjunatha here!
जवाब देंहटाएंBeautifully written.
Thanku so much
हटाएंHi Saumya Geeta here. Wow👌👌really nice loved it👍👍👏👏👏
जवाब देंहटाएंThankuuu so much 😊😊
हटाएंHi Saumya Geeta here. Wow👌👌 really nice loved it👏👏👏
जवाब देंहटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंThanku so much to all 🙏
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