माँ..अब कितनी देर लगाओगी.....best poem on women

माँ..अब कितनी देर लगाओगी.....best poem on women



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देर तो हो चुकी माँ..
अब कितनी देर लगाओगी, 
खोल किवाड़ सवार शेरा पर, 
कब तक फिर से आओगी ।

वस्त्र में लिपटी मानवता को चिर चिर होते, 
यूँ कब तक देखती जाओगी ।
नम आंखें, खूनी घाव भरी चीख, 
कब तक सहती जाओगी  ।

भूखे भेड़ियों के लहू से तुम, 
खड़ग की प्यास कब बुझाओगी, 
वहशी राक्षसों का खून रोपने, 
तुम खप्पर कब उठाओगी ।

देख खत्म होती इंसानियत धरती पर, 
जो बची है उसे बचा लो माँ ।
न सोचो न देर करो अब ,
शांति के फूल खिला दो माँ। 

कह देना महादेव से...,
अब ना.. रोकने आएँगे ।
कि... नहीं रुकेगी तलवार तेरी अब, 
अब तो पापी शोक मनाएंगे। 

अट्टहास करते उन राक्षसों को, 
आकर ये दिखा दो माँ..,
क्या होता परिणाम गलत का, 
कर विनाश बतला दो माँ ।

जो कमजोर पड़े तेरी लाडली तो ,
उसमें शक्ति की जोत जला दो माँ ।
ग़र पड़े जरूरत स्वयं रक्षा की तो, 
पल में बलशाली बना दो माँ  ।

भ्रूण से बुढ़ी होने तक, 
हर छण तुम सजग रहना ।
ना पड़े बुरी नजर लाडो पर  ,
तू ऐसी अपनी नजर रखना  ।

स्वशक्ति की ऐसी वर्षा कर, 
हर नारी को स्वयंसिद्धा बना दे। 
जो उठे हाथ दुस्साहस में तो, 
बन ज्वाला उसे भस्म बना दे ।


10 टिप्पणियाँ

  1. Hi Saumya Geeta here. Wow👌👌really nice loved it👍👍👏👏👏

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