मुझे आसमां के सितारे नहीं,
न चांद पर बसेरा चाहिए,
हर हालात में निभाता रहे,
मुझे वो तेरा संग चाहिए ।
मुझे बस तुम चाहिये......
तेरे दुःख सुख में मैं शरीक रहूं,
मुझे वो मेरा हक्क चाहिये,
दुनिया की शान में तू मसरूफ बहुत है,
पर मुझे तेरा वो हर लम्हा चाहिये।
मुझे बस तुम चाहिये......
महलों की चाहत नहीं मुझे,
न दुनिया की सैर का सुरूर है,
बैठीं रहूं सुकून से कुछ पल,
मुझे तेरे साथ वो हर सुबह की चाय चाहिये।
मुझे बस तुम चाहिये......
समझ सको अनकहे दर्द को,
कुछ छिपाई...दबाई..हुई आरज़ू को,
दिख जाए मेरी रोज की थकान,
मुझे वो तेरी...खुद पर नजर चाहिये।
मुझे बस तुम चाहिये......
Very well expressed👍👍
जवाब देंहटाएंThanks 😊
हटाएंI am a very tan of your writing
जवाब देंहटाएंThanku ❤️ ❤️
हटाएंWell written👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएंBeautifully expressed👍
जवाब देंहटाएंThanks alot
हटाएंNice one
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