बीत गया साल कुछ घन्टों में ख़त्म होने को है ।हम वहीं देह वहीं...ये मन, स्तिथि और मनःस्थिति ,कुछ सम्भालने को और कुछ बदलने को है ।क्या पाया है क्या खोया है इसका सबको पता है ,पर ख़ुद को किसने खोया पाया ये समझने को है ।बीत गया साल कुछ घन्टों में ख़त्म होने को है ।किसी की नीयत दिखी किसी की सीरत दिखी ,पर खुद का सही आकलन अभी करने को है ।किसने वादा तोड़ा स्वार्थ में किसने पीछे छोड़ा ,किसने साथ पाकर तुमको अलग करके अकेला छोड़ा ,उन सब का खुद में मोहभंग करने को है ।बीत गया साल कुछ घन्टों में ख़त्म होने को है ।कुछ रिश्ते जुड़े ...कुछ छूटे ,कुछ साज़िश तो कुछ ग़लतफ़हमी में टूटे ,पर भूलकर सब कुछ संवारा जिसने ,स्नेह व प्रेम के पुष्पों से सजाया जिसने ,उसे प्रथम श्रेष्ठ मानने को है ।बीत गया साल कुछ घन्टों में ख़त्म होने को है।
Best
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