Poetry on relationship
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पितरों को नमन
आज खोज रहा हर घर पंडित ,
बना पकवान भोज खिलाने को ,
जहां कभी कोई तरस रहा था ,
सुबह शाम रोटी के निवाले को ।
भोर हुई ....स्नान किया ,
पित्रों को खुश करने को...
हाथ जोड़ कर नमन किया ,
पर भूल गए वो दिन सारे ,
उनके दर्द से जब ....
था खुद को अंजान किया ।
समय निकाल नियम करने को तत्पर ,
हाथ में पुष्प और जल लेकर ,
पर बुढ़ी प्यासी आवाज सुनने पर ...,
समय नहीं था देने पानी को ।
विधि संयम से तर्पण कर ,
भ्रांति है पितरों को प्रसन्न किया ,
जब उनके जीवन काल में ,
उन्हें ठोकर और अपमान दिया ।
मात-पिता के चरणों में ,
बहती प्रेम सुधा की धारा है ,
संचित कर लो..क्यों वंचित रहना ,
स्नेह सम्मान से फर्ज निभाना है ।
🙏🙏🙏ati sundar
जवाब देंहटाएंTrue... meaningful
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