Spiritual poetry in Hindi: यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर

Spiritual poetry in Hindi: यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर

 Spiritual poetry in Hindi: दोस्तो मेरी यह कविता Spiritual poetry in Hindi जीवन के उन रहस्यों के बारे मे है जो हम सभी जानते हुए भी अनजान बनने का अभिनय करते है आप आध्यात्मिक व्यक्ति हैं या नहीं, पर इस कविता Spiritual poetry in Hindi के माध्यम से अपने भौतिक संसार के अनुभवों के बाहर मौजूद, इस बारे में अपने विश्वास का बोध कर सकते हैं। Spiritual poetry जीवन को पूरी तरह से समझने और ‘Out of box’ सोचने का एक ज्ञानवर्धक तरीका है।

Spiritual poetry in Hindi

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यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर

जीवन राह पर चलते रहना है

इस डगर पर जो बैठ गया

फिर उसको सब खो देना है

पड़े जो मुश्किल तुमको

सहन कर सब सहना है

डर डर कर सब करना है

या कर कर के डरना है

 

यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर ....

जीवन राह पर चलते रहना है ....

जग की है रीति पुरानी

पाना तो कभी खोना है

कभी सामना कभी विमुख हो

कर्म को करते रहना है

जैसी थाली वैसी रोटी

कर्म जैसा ही फल मिलना है

खुश करके खुश हो लो मुसाफिर

जीवन का ना भरोसा है

आज हृदय जो धड़क रहा

एक दिन तो बंद होना है

 

यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर ....

जीवन राह पर चलते रहना है ......

क्यों किसी के लिए खोदो गढ्ढा

एक दिन उसमें ही सोना है

हाथ पकड़ लो हाथ बंटा दो

सबका उधार चुकाना है

मानवता का महत्व समझ लो

सुकर्म से ही सुख मिलना है


यूँ ना मुँह फ़ेर मुसाफ़िर ....

जीवन राह पर चलते रहना है ...... 



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