Poetry in Hindi on life दिखावे की दुनिया

Poetry in Hindi on life दिखावे की दुनिया

दिखावे की दुनिया ,
बहकावे में हम ,
छलावे का मंजर,
सलाखों में हम ,
बांटी बस खुशियाँ, 
उदासी में हम ,
उलझन में ज़िंदगी ,
समाधान है कम,
प्यार के पीछे दुनिया ,
पर दिल में नहीं रहम, 
तकल्लुफ़ की हँसी जहाँ में ,
पर आंखें हैं नम,
दिखावे के बनते रिश्तें ,
जहां चकाचौंध का है वहम ।
दिखावे की दुनिया....
बहकावे में हम....
महफिलें तो सजती हैं ,
पर प्यालों में हैं गम ,
खत्म हो गया लिहाज आँखों से ,
क्या हया और कहां शरम ,
न रहीं कोशिशें रिश्तों को संजोने की ,
सबसे ऊपर है अपना अहम ,
प्रसिद्धि के लोभ में  
देते हैं दान और बिकते है धरम ।
दिखावे की दुनिया..... 
बहकावे में हम....
दुनिया भी कुछ चार लोगों की ,
और उन्हीं चार के नियम  ,
खोज रहे हैं क्या सही है  ,
दुनिया मुझसे या दुनिया से हम ,
मिलों हैं फैला झूठ का मंजर,
सहनशक्ति अब हो गई है खतम ,
किसी की बेरुखी बेवजह ,
कहीं दिल में भरा है गम ।
दिखावे की दुनिया..... 
बहकावे में हम..... ।

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