चाँद से झगड़ा हो गया
वो जा बादलों में छुप गया
पर मैं फिर भी निहारती रही
उसे देखने को सुबह तक जागती रही
मैं तन्हा.. मेरी नम आंखे भी बरसने लगी
उसे मिलने की आस भी अब खोने लगी
वो जा सितारों की नगरी में भूल गया हो जैसे
अपनी चांदनी समेत खो गया फिर से
सही था वो हर बार और हमेशा से
मैं....अमावस्या की रात...मेरे संग आयेगा कैसे
👍👍
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंSuperb
जवाब देंहटाएंThankuu
हटाएं👍👍
जवाब देंहटाएंThankuu
हटाएंBeautiful 💗
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