शिकायतें my best poetry in hindi on life

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शिकायतों से क्या मिला 

ना कोई अपना हुआ ,

जो था...वो भी पराया हुआ ।

हाँ...शिकायतें कुछ तो तेरी लाजमी थी ,

पर कुछ बेबुनियाद और बेवजह ,

तो कुछ गलतफहमी थी ।

ग़र हम सही नहीं थे कभी, 

तो कुछ खता आपकी भी थी....

अरे ....

जो दिल से जुड़े होते हैं, 

उन्हें ऐसे ही दूर नहीं करते। 

जो विश्वास करते है उस स्नेह को, 

यूँ ही ज़ाया नहीं करते। 

निश्चल प्रेम को दिल से मेहसूस करें, 

उन रिश्तों को खुद से महरूम ना करें 

जब.....

जब कुछ हाथ ही ना आए ,

तो क्या शिकवे औऱ क्या गिला 

बताओ...शिकायतों.. से क्या मिला.....

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