......आस और विश्वास .....
जागी एक और आस ।
कुछ नजर में कुछ हृदय में ,
कुछ जाती हुई दूर, कुछ आती है पास ।
भागेगा इंसान पूरा करने इसे ,
नहीं ज्ञान है भविष्य का जिसे ।
फिर इच्छा बनेगी प्रतीक्षा ,
होगा मस्तिष्क में संवाद व मन में समीक्षा ।
मिला कारवाँ में एक और विश्वास ,
अब चाहे हो जीवन या हो विनाश ।
तो क्या करे इन्सान भी ,
जीवन भी तो जीना है अभी ।
यहीं इच्छा और आस तो
जीवन का मार्ग बनाता है ।
भविष्य का मोह ही तो
इसे आगे बढ़ाता है ।
ज़रूरी है ये आस ,
टिका रहेगा आसमाँ ।
यहीं तो है विश्वास ....।
👍👍
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंWell written
जवाब देंहटाएंThankss
हटाएंVery well written 👌
जवाब देंहटाएंToo good👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएंWell written
जवाब देंहटाएंVerry nice
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