चाय का ज़ायका और ज़िंदगी poetry on life

चाय का ज़ायका और ज़िंदगी poetry on life


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जिंदगी भी चाय की तरह है। 

कुछ कम-ज्यादा हुआ तो, 

स्वाद ही बदल जाता है ।

यूँ ही.....

कभी मिठास से भरी, 

तो कभी फीकी सी ।

कभी गाढ़ी तो ,

कभी हल्की सी ।

कभी इलायची सी महक जाती है ,

कभी सादी सादी सी रह जाती है। 

कभी कड़क तो कभी पानी सी ,

कभी पूरी तो कभी आधी ही। 

चाय के विभिन्न रंग समझो तो,

हर रूप दिखा जाता है ।

जिंदगी के हालातों को ये 

चाय.....

अपने विविध ज़ायकों से बता जाता है। 


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