Poetry in Hindi : हँसी

Poetry in Hindi : हँसी



                         हँसी 


हँसी की अपनी परिभाषा होती है.... 
जो प्यार से मुस्कुराये ,
तो तब्बसुम हो गई ।
जो कटाक्ष से मुस्कुराए ,
तो उपहास हो गई ।
जो शर्म से मुस्कुराए ,
 तो अदा बन गई ।
और जो अदा से मुस्कुराए ,
तो नजाकत बन गई ।
किसी के दर्द पर मुस्कुराए ,
तो जहर बन गई  ।
तो किसी की नजरों को देख कर मुस्करा दे ,
तो दिल की जुबां बन गई ।
और जो न मुस्कुराए तो......
तल्ख-ए मिजाज़ हो गई ।

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