दिवाना हूँ देश का
दिवाना हू देश का अपने
छोड़ आया माँ की मीठी डांट को
उस मरहम को..,उस हल्दी को.., और उसके प्यार को
छोड़ आया मैं घर के खुले किवाड़....को
बाबा के टूटे चश्मे को , दादी के दुलार का।
दीवाना हू देश का अपने . . .
छोड़ आया मै उस राखी के त्यौहार को ,
देता था स्नेह से बार कर,उस उपहार को ।
छोड़ आया मै अपनी गली के,खेल और खिलवाड़ को।
छोड़ आया दोस्तो का संग,उनके प्रेम के व्यवहार को ।
दीवाना हू देश का अपने . . .
छोड़ आया मै खनकती चूड़ियो की आवाज को ,
उस आँगन को,उस बारिश की बौछार को ।
छोड़ आया मै घर की फुलवारी को ,
दिल मै स्नेह भरने वाली, उस प्यारी सी किलकारी को ।
दीवाना हू देश का अपने . . .
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Bahut khoob👌🏼👌🏼👌🏼
जवाब देंहटाएंSabaash 👌👌👍
जवाब देंहटाएं👍👍
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएं🇮🇳🇮🇳👍👍
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