~~जीवन का मेला~~
जीवन का मेला बड़ा सुंदर झमेला
धन, बैभव, यश की माया
लगती पेड़ की शीतल छाया
इस पेड़ के नीचे जो करता विश्राम
उसे न मिलता कभी आराम
काम, क्रोध, मद लोभ और द्वेष
धारण किये हैं सुंदर वेश
जिसे ओढ़ कर सब खड़े हैं
बेईमानी के कीचड़ मैं पड़े हैं
धर्म, कानून और राजनीति
बनकर सत्ता के सिपाही
चला रहे है चतुर नीति
जिसे लेकर सब लड़ रहे हैं
सारे विवादो की यही जड़े हैं
आज नहीं कोई परिवार
सामूहिक हो गया एकांकी आकार
प्यार विश्वास न सत्य का साया
देखो इंसान की कैसी बदली काया
संग है न साथी का साथ है
अब कोई तोता मैना नही,
हर कोई बाज है
जीवन का मेला बड़ा सुंदर झमेला...
Jivan ka mela kubh likha
जवाब देंहटाएंThankuu
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जवाब देंहटाएंThanku
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