devotional poetry
माँ..अब कितनी देर लगाओगी.....best poem on women
देर तो हो चुकी माँ.. अब कितनी देर लगाओगी, खोल किवाड़ सवार शेरा पर, कब तक फिर से आओगी । वस्त्र में लिपटी मानवता को चिर चिर होते…
देर तो हो चुकी माँ.. अब कितनी देर लगाओगी, खोल किवाड़ सवार शेरा पर, कब तक फिर से आओगी । वस्त्र में लिपटी मानवता को चिर चिर होते…
ये अदा हमारी है मुझको अंधेरे में रखा, ये सोच तुम्हारी है, भर दी रौशनी हमने यहाँ... ये बात हमारी है। मुझे अकेला है कर देना, ये…